शायरी किस कदर हमने एक इंसान को चाहा,जिसे भुला पाना बस की नहीं और पाना किस्मत में नहीं। admin November 20, 2024 किस कदर हमने एक इंसान को चाहा,जिसे भुला पाना बस की नहीं और पाना किस्मत में नहीं। Continue Reading Previous: इश्क़ में तेरा फ़ना बन जाऊ,दर्द में तेरा सुकून बन जाऊ,तुम रखो पैर जिस जगह पर भी,वो जमीन मैं बन जाऊ।Next: जरुरी नहीं है की, इश्क़ में हमबिस्तर होना पड़े,किसी को जीभर के महसूस करना भी इश्क़ है। Leave a Reply Cancel replyYour email address will not be published. Required fields are marked *Comment * Name * Email * Website Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment. Related Stories भारत शायरी होम दिल में कुछ यूं संभालता हु तुझे,जैसे जेवर संभालता है कोई. admin January 12, 2025 शायरी होम सारी दुनियां के रिवाजों से बगावत की थी,तुमको याद है ना जब मैंने मोहब्बत की थी. admin January 12, 2025 भारत शायरी हाथ जैसे ही वो मेरा यार पकड़ेगा,वक्त देख लेना रफ्तार पकड़ेगा. admin January 12, 2025